मां प्रथम गुरु ,ममता, वात्सल्य क्षमा और स्नेह का अथाह भंडार व मातृत्व की साक्षात प्रति मूर्ति………… सुनीता खीचड़  jain hindusthan news -:

मां प्रथम गुरु ,ममता, वात्सल्य क्षमा और स्नेह का अथाह भंडार व मातृत्व की साक्षात प्रति मूर्ति………… सुनीता खीचड़  jain hindusthan news -:

बीकानेर

उक्त विचार विद्या भारती द्वारा संचालित आदर्श विद्या मंदिर  नोखा के उच्च माध्यमिक बालक भाग बालिका भाग व प्राथमिक भाग के संयुक्त तत्वावधान में ” बालक बालिका के सर्वांगीण विकास में अभिभावक का योगदान ” विषय पर परिचर्चा में कही।  
मातृ सम्मेलन कार्यक्रम में मां सरस्वती, भारत माता व ॐ की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कार्यक्रम की अध्यक्षा शीतल स्वामी, मुख्य अतिथि ममता करवा, विशिष्ट अतिथि डॉ. इन्दुबाला बिश्नोई, मुख्या वक्ता सुनीता खीचड़ ने किया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. इंदुबाला बिश्नोई ने कहा कि मुख्य रूप से श्रेष्ठतम बालक बनने के लिए पांच बातें बताई की विद्यार्थियों की नींव बहुत ही मजबूत करें ताकि आने वाली चुनौतियों का सामना कर सके। बालकों की तुलना अन्य किसी से नहीं करें वे जैसा है वैसा ही कुछ करने दे। हर बालक अपने आप में अमूल्य निधि है उसका भली प्रकार से विकास करे। बालकों को उत्पाद नहीं बनाए अनुशासन के साथ समर्पण का भाव बनाएं रखें और अभिभावकों को भी धैर्यवान बनना चाहिए। बच्चा एकाएक आगे नहीं बढ़ता है। मुख्य वक्ता ने बताया कि विद्या भारती के विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थी समाज के प्रत्येक क्षेत्र में निरन्तर आगे बढ़ रहे हैं। जिसमें आप सभी माता – बहिनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। लव–कुश,ध्रुव,प्रह्लाद, शिवाजी आदि का उदाहरण देते हुए मां अर्थात बालक की प्रथम गुरु ,ममता, वात्सल्य क्षमा और स्नेह का अथाह भंडार व मातृत्व की साक्षात प्रति मूर्ति। परिवार ही बालक की प्रथम पाठशाला है और परिवार की धूरी होती है मां । मां ही भगवान, भक्त और महापुरुषों को गढ़ती है। बालक पारिवारिक भविष्य के आधार स्तंभ होने के साथ-साथ राष्ट्रीय उन्नति के भी द्योतक हैं । राष्ट्र की इस भावी पीढ़ी को संवारने एवं बालक के सर्वांगीण विकास के लिए परिवार की माता–बहिनें अनादि काल से प्रयासरत है। सोशल मीडिया से हमें अपने बच्चों को बचाना चाहिए यह समय के साथ हमारे बच्चों के गुणों को भी लोप कर देता है। मोबाइल के कारण संयुक्त परिवार की जगह एकल परिवारों ने ले लिया है इसके चलते बालकों में संस्कार का बीजारोपण नहीं हो पाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षा शीतल स्वामी ने बताया विद्या मन्दिर, माता– पिता की त्रिवेणी द्वारा दिए गए संस्कारों एवं शिक्षाओं से पुष्ट बालक राष्ट्र निर्माण हेतु तैयार होते हैं । 
कार्यक्रम में आए हुए  अतिथियों  का  परिचय रघुवीर सिंह राठौड़ ने करवाया।  विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य आशीष डागा ने विद्यालय का प्रतिवेदन रखा। जिसमें विद्यालय की उपलब्धियां व आगामी विद्या मंदिर की योजनाएं को भी सभी के समक्ष रखा व प्रबंध समिति सदस्या सीमा शर्मा ने सम्मेलन में आए हुए सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा की  विद्या भारती द्वारा संचालित विद्यालयों को सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी एवं सर्वग्राह्य बनाना हम सभी  का कर्त्तव्य हो कि हमें अपने विद्यालयों में पढ़ने वाले भैया– बहिनों को केवल पढ़ाना ही नहीं है बल्कि उनके अंदर अपने राष्ट्र , अपनी संस्कृति और अपने समाज के लिए एक जवाबदेह नागरिक  बनाने में भी अहम भूमिका हो ।
विद्या मंदिर प्रबंध समिति ने अतिथियों को श्रीफल , शॉल, पुस्तक समूह व स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। मंच संचालन आचार्या करिश्मा स्वामी ने किया व शांति पाठ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में समिति सदस्य , आनंदीलाल बजाज,  बसंती सारस्वत, ओमप्रकाश  भादू, रामुराम सियाग , अनिल  जैन, दुर्गाराम ज्याणी, , बसंती सारस्वत ,रूखमा , सीमा , संगीता, प्रधानाचार्य चंद्रकला चौधरी, छैलूदान चारण , लक्ष्मण कुमावत व विद्या मन्दिर आचार्य–दीदी उपस्थित रहे। Jain Hindustan News -:

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