जिनेश्वर युवक परिषद बीकानेर के सदस्यों ने सरकारी स्कूलों में रजिस्टर भेंट करते हुए कार्यकर्तागण jain hindusthan news

जिनेश्वर युवक परिषद बीकानेर के सदस्यों ने सरकारी स्कूलों में रजिस्टर भेंट करते हुए कार्यकर्तागण jain hindusthan news

*आज (शनिवार) सौ 100 से अधिक श्रावक श्राविकाए व बच्चें करेंगें आयंबिल*



*जैनाचार्य गुरु विजय वल्लभ सूरीश्वर की 70 वीं पुण्यतिथि पर होंगें विशेष आयोजन*

बीकानेर, 26 सितम्बर। बीकानेर से विशेष जुड़ाव रखने वाले जैनाचार्य पंजाब केसरी जैन भिक्षु आचार्य विजय वल्लभ सूरीश्वर की 70वीं पुण्यतिथि पर रांगड़ी चैक स्थित पौषधशाला में चल रहे चातुर्मास आयोजन के दौरान 100 से अधिक श्रावक श्रााविकाऐं तथा बच्चों द्वारा कोचरों के चैक स्थित आयंबिल शाला में गुरु को समर्पित आयंबिल करेंगें।
आत्मानंद जैन संभा चार्तुमास समिति के सुनील बद्धानी ने बताया कि रांगड़ी चैक स्थित पौषधशाला में प्रतिदिन सैकड़ों श्रावक श्राविकाऐं  जैनाचार्य गच्छाधिपति नित्यानंद सुरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न जैन मुनि पुष्पेंद्र म.सा. व प्रखर प्रवचनकार श्रृतानंद महाराज साहेब के जिनवाणी पर प्रवचन तथा जैन धर्मानुसार विभिन्न आयोजन चल रहे है जिसके तहत आज गुरु विजयवल्लभ सूरीश्वर के स्मरणार्थ आयंबिल का आयोजन होगा तथा कल शनिवार को 28 सितम्बर को प्रात 9 बजे से भव्यातिभव संगीतमय धारा मे गुरु गुणानूवाद होगा इसके साथ ही सांस्कृतिक नाटिका का मंचन भी होगा। 12 बजे गौड़ी पाश्र्वनाथ मंदिर मे साधर्मिक स्वामी वात्सल्य का आयोजन होगा। तथा सायं 7ः30 बजे एक शाम गुरु वल्लभ के नाम संगीत संध्या होगी। संगीत संध्या में  रजत मुद्रिका के लक्की ड्रा भी निकाले जायेंगें जिसका लाभार्थी पविार मंजू अजय बैद परिवार बीकानेर होगा। इन आयोजन के लाभार्थी परिवार जयपुर के ओसवाल ग्रुप के देवेन्द्रकुमार, सुरेन्द्रकुमार, यतिन्द्रकुमार, वीरेन्द्रकुमार जैन है तथा इस अवसर गुरुभक्त ओसवाल परिवार के सदस्य बीकानेर में आयेंगें।
आयोजन समिति के शांतिलाल हनुजी कोचर ने बताया कि आयोजन समिति के द्वारा 29 सितम्बर को  प्रथम तीर्थंकर परमात्मा श्री आदिनाथ भगवान की कल्याणक भूमि शत्रुंजय की भाव यात्रा का आयोजन रांगड़ी चैक स्थित पौषधशाला में होगा तथा दोपहर 12 बजे गौड़ी पाश्र्वनाथ मंदिर में साधर्मिक स्वामी वात्सल्य का आयोजन होगा। 
मंदिर श्री पदम प्रभु ट्रस्ट के अजय बैद ने बताया कि आज की संघ पूजा व प्रभावना ओसवाल साॅप परिवार, जयपुर की ओर से की तथा आज प्रवचन के उपरांत श्राविकाओं द्वारा परमात्मा के लिए बनाये गये परमात्मा के झूलों के विजेताओं को बहुमान किया जायेगा।  आज के प्रवचन में जैन मुनि श्रृतानंद म सा ने जैनाचार्य हरिभद्र सूरीश्वरजी द्वारा लिखित ज्ञानवाणी के अुनसार कहा कि महावीर स्वामी के उद्धरणों को केन्द्र में रखकर परमात्मा की इच्छा, सम्यक दर्शन, दृष्टि से सृष्टि निर्माण, मोक्ष, जीवनचर्या, शांत चित्त जैसे विषयों पर मनोभाव से दृष्टांत सुनाते हुए प्रवचन दिया। जैन मुनि पुष्पेन्द्र ने गुरु वंदन कर प्रवचन की शुरूआत की तथा पचखान दिया।

*कौन थे विजय वल्लभ सूरीश्वर जी*
आचार्य विजय वल्लभ श्वेतांबर धारा के संत थे. उनका जन्म संवत 1870 में गुजरात के बड़ोदा में हुआ मगर उन्होंने अपनी अधिकांश सेवाएं पंजाब को दीं. वह खुद खादी पहनते थे और आज़ादी के समय हुए खादी स्वदेशी आंदोलन में भी सक्रिय रहे. देश के बंटवारे के समय उनका पाकिस्तान के गुजरावाला में चर्तुमास था, मगर वे सितंबर 1947 में पैदल ही भारत लौट आए और अपने साथ अपने अनुयायिओं का भी पुर्नवास सुनिश्चित किया. वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा के अपनी शिक्षा के साथ सक्रिय रहे. आज़ादी के बाद 1954 में उनकी मृत्यु बंबई में हुई. उनके अंतिम दर्शन के लिए 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी थी.

उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, सौराष्ट्र और महाराष्ट्र आदि प्रांतों में उन्होंने 67 वर्षों तक पैदल यात्राएं कीं. इस दौरान उन्होंने आचार्य महावीर जैन विश्वविद्यालय समेत अनेक शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में अपना सहयोग दिया. उन्होंने अपने हाथों से 50 से ज्यादा शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की. उन्होंने अनेक ग्रंथों के निर्माण के साथ साथ अनेक पूजाओं और छंद कविताओं की भी रचना की. अपने गुरू की ही इन्होंने भी अपनी कर्मभूमि पंजाब को बनाया. उनके उपदेशों से प्रेरित होकर लोगों ने उन्हें ‘पंजाब केसरी’ की उपाधि दी. जैन संप्रदाय के उत्थान और उसकी शिक्षाओं को फैलाने के अपने कार्यों के लिए उन्हें ‘युग प्रधान’ कहा जाने लगा. Jain Hindustan News

CATEGORIES
Share This

COMMENTS

Wordpress (0)
Disqus ( )